15 अगस्त 76 साल पुरानी है यह कहानी है हमारी 1857 में रानी झांसी के संघर्ष से लेकर द्रौपदी मुर्मू के सिंहासन की जुबानी है,लाल बाल पाल की जुगलबंदी से लेकर भगत राजगुरु सुखदेव के संघर्षों की रवानी है । यह,अंग्रेजी हुकूमत से लड़ाई तो छोटी पहल थी, पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की गवाही है यह गुलामी की बेढी तोड़ी हमने, गरीबी भुखमरी से लड़ाई कैसे जीती हमने चांद पर कैसे पहुंचे हम यह 76 साल उसी की कहानी है। हिंद को दिया प्रगति ने बहुत कुछ पर सजाया हमारे वीरों ने ,18 वर्ष की उम्र में कोई खुदी राम अपने प्राण देश को दे गया, कहीं मदन लाल ढींगरा विदेशी धरती पर लड़ते लड़ते शहीद हो गया कहीं लाठी खाकर ल।लl मौत की नींद सो गया ,कहीं जवानी से पहले ही भगत शांत हो गया ,कहीं आजाद फौज बनाकर बोस गुमनामी में खो गया और मोहब्बत की बात वतन से करते-करते वीर सवरकर पंचतत्व में विलीन हो गया, नमक आंदोलन से चलने से ही नहीं बड़ा बन गया रानी गाडिलयु, रघुनाथ और वयवी चौहान को देश कैसे भूल गया , आज हम परिवार को एक ना कर सके पर कोई था जो 583 रियासतों को एक कर गया ऐसी ही थोडी उसको सरदार का त।ज मिल गया, हर आमजन ने हर बच्चे बूढ़े ने, बड़े छोटे ने 1942 में कसम यह खाई थी तभी उस मात्र छड़ी से देश को आजादी आई थी। हौसले बुलंद और बुद्धि स्थिर हो तो असंभव भी संभव हो जाते हैं तभी एक नंग फकीर से चर्चिल जैसे डर जाते हैं। पर यह कर्जा है जो हर भारतवासी को चुकाना है ,इस चिड़िया को अखंड सोने की बनाना है कोई भूखा ना रहे ,कोई शोषित ना हो इस भाईचारा को कोई ना हट सके, हर को शिक्षा मिल सके , हर मां बहन बेफिक्र जी सके, हिंद कुश से गारो पर्वत तक तिरंगा फहराना है, एक ऐसा श्रेष्ठ भारत बनाना है।
By one of our follower Mr. Suyash Tiwari