पुरषोत्तम मास

पुरषोत्तम मास

 

हर तीन साल में एक बार साल का एक माह अतिरिक्त होता है, जिसे अधिकमास कहा जाता है l अधिकमास समय की स्थिति को अनुकूल बनाने के लिए लगता है l अधिकमास अग्रेंजी कैलेंडर में तो हर साल 12 महीने होते हैंl लेकिन पंचांग के अनुसार हर तीन साल में एक बार एक अतिरिक्त माह होता है, जिसे अधिकमास या फिर पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता हैl अधिकमास में पूजा-पाठ, व्रत और साधना का महत्व काफी बढ़ जाता हैl लेकिन क्या आप जानते हैं कि अधिकमास हर तीन साल में एक बार क्यों और कब लगता है l

पंचांग या हिंदू कैलेंडर सूर्य और चंद्र वर्ष की गणना से चलता हैl अधिकमास चंद्र साल का अतिरिक्त भाग है, जो 32 माह, 16 दिन और 8 घंटे के अंतर से बनता हैl सूर्य और चंद्र वर्ष के बीच इसी अंतर को पाटने या संतुलन बनाने के लिए अधिकमास लगता हैl वहीं भारतीय गणना पद्धति के अनुसार, सूर्य वर्ष में 365 दिन होते हैं और चंद्र वर्ष में 354 दिन होते हैंl इस तरह से एक साल में चंद्र और सूर्य वर्ष में 11 दिनों का अंतर होता है और तीन साल में यह अंतर 33 दिनों का हो जाता हैl यही 33 दिन तीन साल बाद एक अतिरिक्त माह बन जाता हैl यही अतिरिक्त 33 दिन किसी माह में जुड़ जाता है, जिसे अधिकमास का नाम दिया गया हैl अधिकमास को पुरषोत्तम मास भी कहा जाता है और पुर्शोतम विष्णु भगवान का ही एक नाम है । ऐसा करने से व्रत-त्योहारों की तिथि अनुकूल रहती है और साथ ही अधिकमास के कारण काल गणना को उचित रूप से बनाए रखने में मदद मिलती है l अधिकमास आने पर विशेष पूजा-पाठ, दान और तप करने से धर्मिक फल मिलता है ॐ  नमो भगवते वसुदेवाय नमः मन्त्र का जपसर्व मनोरथ सिद्ध कराता हे।हिंदू धर्म के अनुसार, संसार के प्रत्येक जीव पंचमहाभूत (जल, अग्नि, आकाश, वायु और पृथ्वी) से मिलकर बना हैl अधिकमास ही वह समय होता है, जिसमें धार्मिक कार्यों के साथ चिंतन-मनन, ध्यान, योग आदि के माध्यम से व्यक्ति अपने शरीर में समाहित इन पंचमहाभूतों का संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता हैl

अधिकमास के दौरान कई धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान भी होते हैं, जिनमें विशेष व्रत, पूजा, यज्ञ, कथा-काथन और सत्संग आदि शामिल होते हैं। इस समय पर किए जाने वाले धार्मिक कार्यों में समाज के साथ-साथ व्यक्ति का आत्मविकास भी होता है और वह सामाजिक बंधनों को मजबूती से जोड़ता है। इस साल अधिकमास सावन माह में जुड़ा है, जिस कारण इस बार सावन दो महीने का होगाl अधिकमास की शुरुआत 18 जुलाई 2023 से हो रही है और 16 अगस्त 2023 को यह समाप्त हो जाएगाl

 इस रूप में, अधिकमास हिंदू धर्म के लिए एक प्राचीन और महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो धार्मिक, आध्यात्मिक और अर्थिक विकास में अहम भूमिका निभाता है।