ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो हमारे जीवन में ग्रहों, नक्षत्रों और भाग्य के बीच संबंध स्थापित करता है। ज्योतिष का व्यक्तित्व और मानसिक व्यवहार के साथ संबंधित होने का गहरा अध्ययन होता है।
ज्योतिष विज्ञान का मानना है कि हमारी जन्म कुंडली, जो कि ग्रहों की स्थिति और नक्षत्रों के प्रभाव पर आधारित होती है, हमारे व्यक्तित्व, स्वभाव, और भाग्य को प्रभावित करती है। इस परम्परागत विचार के अनुसार, ग्रहों की चाल और स्थिति मानसिक, भावनात्मक, और शारीरिक व्यवहार पर असर डालती हैं।
ज्योतिष विज्ञान में व्यक्ति की राशि, नक्षत्र, और ग्रहों के स्थान के आधार पर व्यक्तित्व विश्लेषण किया जाता है। हर राशि अपनी विशेषताओं, स्वभाव, गुण, और क्षमताओं के साथ आती है। इसके अलावा, ज्योतिष विज्ञान में नक्षत्रों का भी महत्व है, क्योंकि प्रत्येक नक्षत्र के अलग-अलग विशेषताएं होती हैं और इनका मानसिक व्यवहार पर प्रभाव होता है।
कुण्डली और ग्रह दशा ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से मानव जीवन पर प्रभाव डालते हैं। यह माना जाता है कि जन्म कुण्डली में ग्रहों की स्थिति, राशियां, नक्षत्रों का महत्वपूर्ण योगदान होता है। इन ग्रहों की चाल, स्थिति और युति मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक प्रभाव डालते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति की ग्रह दशा या चल भी उसके जीवन में महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है।
ग्रहों के विभिन्न स्थान और युतियों के आधार पर ज्योतिषी व्यक्ति की कार्यशीलता, स्वभाव, व्यक्तिगत गुण, प्रेम, विवाह, आर्थिक स्थिति, स्वास्थ्य और उनके जीवन के विभिन्न क्षेत्रों के बारे में विवरण प्रदान करते हैं। ग्रह दशा के दौरान व्यक्ति के जीवन में विभिन्न परिवर्तन हो सकते हैं, जैसे कि सफलता, संकट, यात्रा, कर्म, व्यापार या विदेश जाने का मौका। यह दशा व्यक्ति की जन्म कुण्डली के अनुसार वर्षों या महीनों तक चलती है।
यह महत्वपूर्ण है कि ग्रहों और दशाओं का प्रभाव सभी लोगों के जीवन में एक जैसा नहीं होता है। प्रत्येक व्यक्ति की जन्म कुण्डली विशेष होती है और उनके जीवन में व्यक्तिगत परिवर्तन और प्रभाव होते हैं। इसलिए, कुण्डली विश्लेषण करने वाले ज्योतिषी के द्वारा व्यक्तिगत सलाह दी जाती है जो उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं में मदद कर सकती है।